ओढ़ जामा इश्क़ का झूमूँ सदा बनके अमृत प्रीत सी झरती रहूँ। ओढ़ जामा इश्क़ का झूमूँ सदा बनके अमृत प्रीत सी झरती रहूँ।
जब खुद को खुद में खोज पाऊँगी तभी शायद अपने लिए शब्दों को भी ढूंढ पाऊँगी।। जब खुद को खुद में खोज पाऊँगी तभी शायद अपने लिए शब्दों को भी ढूंढ पाऊँगी।।
हमने सवेरे जी लिये और शामें ढलती छोड़ दीं फिर चराग़ों को बुझाके आँखे जलती छोड़ दीं हमने सवेरे जी लिये और शामें ढलती छोड़ दीं फिर चराग़ों को बुझाके आँखे जलती छोड...
यह रंग अब आँखों में चुभने लगे है, जिंदगी बेरंग सी लगने लगी है। यह रंग अब आँखों में चुभने लगे है, जिंदगी बेरंग सी लगने लगी है।
रात भर मैं शमा सी पिघलती रही दे उजाला तमों को निगलती रही। रात भर मैं शमा सी पिघलती रही दे उजाला तमों को निगलती रही।